जयशंकर बोले- भारत-चीन सीमा पर 2 वजहों से समझौता
पुणे। भारत-चीन के बीच LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर समझौते पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार का अपनी बात पर अड़े रहना काम कर गया। आज हम जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, उसके दो कारण हैं।
पहला- हम अपनी बात से पीछे नहीं हटे यह केवल इसलिए संभव हो सका क्योंकि सेना देश की रक्षा के लिए हर मौके पर डटी रही। सेना ने अपना काम किया।
दूसरा- कूटनीति ने अपना काम किया।
जयशंकर ने कहा- मुझे लगता है कि इन दो कारणों के चलते भारत-चीन सीमा विवाद पर पेट्रोलिंग का मुद्दा हल हो सका है। विदेश मंत्री ने यह बात शनिवार को पुणे के एक कार्यक्रम में कही।
जयशंकर ने ऐसा क्यों कहा…
दरअसल, भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चार साल से सीमा विवाद को लेकर तनाव था। दो साल की लंबी बातचीत के बाद पिछले दिनों एक समझौता हुआ है। दोनों सेनाएं विवादित पॉइंट्स देपसांग और डेमचोक से पीछे हटेंगी।
18 अक्टूबर: देपसांग और डेमचोक से पीछे हटने की जानकारी सामने आई थी। इसमें बताया गया था कि यहां से दोनों सेनाएं अप्रैल 2020 से पहली की स्थिति में वापस लौटेंगी। साथ ही उन्हीं क्षेत्रों में गश्त करेंगी, जहां अप्रैल 2020 से पहले किया करती थीं। इसके अलावा कमांडर लेवल मीटिंग होती रहेगी
2020 में भारत-चीन के सैनिकों के बीच गलवान झड़प के बाद से देपसांग और डेमचोक में तनाव बना हुआ था। करीब 4 साल बाद 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच नया पेट्रोलिंग समझौता हुआ। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया था कि इसका मकसद लद्दाख में गलवान जैसी झड़प रोकना और पहले जैसे हालात बनाना है।
25 अक्टूबर: भारत और चीन की सेनाएं शुक्रवार, 25 अक्टूबर से पूर्वी लद्दाख सीमा से पीछे हटना शुरू हो गई हैं। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग पॉइंट में दोनों सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और शेड हटा लिए हैं। गाड़ियां और मिलिट्री उपकरण भी पीछे ले जाए जा रहे हैं।
आर्मी के सूत्रों के मुताबिक 28 और 29 अक्टूबर तक दोनों देश देपसांग और डेमचोक से अपनी- अपनी सेनाएं पूरी तरह हटा लेंगे। पेट्रोलिंग के लिए सीमित सैनिकों की संख्या तय की गई है। ये संख्या कितनी है, इसकी अभी जानकारी सामने नहीं आई है।