मंदसौर गोलीकांड: किसके आदेश से चली किसानों पर गोलियां

मंदसौर गोलीकांड: किसके आदेश से चली किसानों पर गोलियां
इंदौर। 6 जून 2017 वह तारीख जब मंदसौर जिले में हाईवे पर किसानों की भीड़ पर पुलिस ने फायरिंग की थी, गोली लगने से पांच किसानों की मौत हो गई। एक किसान की मौत तीन दिन बाद पुलिस हिरासत में हुई। जांच आयोग भी गठित हुआ लेकिन आज तक पता नहीं चला कि किसानों पर गोली चलाने का आदेश किसने दिया, यह रहस्य अब फाइलों में ही दफन रह जाएगा क्योंकि यह पता करने के लिए रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने याचिका लगाई थी जो इंदौर हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है।

रिपोर्ट सार्वजनिक करने की थी मांग

रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने मंदसौर में हुए गोलीकांड का आदेश देने वाले दोषियों के के नाम और आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। जिस पर हाई कोर्ट ने ऑर्डर जारी कर दिया है। पिछले दिनों सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था, याचिका को निरस्त कर दिया है। याचिका के माध्यम से रिपोर्ट को विधानसभा पटल पर रखने की मांग की गई थी।

कोर्ट ने सुनाया 9 पेज का फैसला

दरअसल 6 जून 2017 को मंदसौर में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर गोली चली थी, जिसमें 5 किसानों की जान चली गई थी। मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में आयोग गठित किया था, आयोग ने रिपोर्ट 13 जून 2018 को शासन को सौंपी। इसी को सार्वजनिक करने की मांग याचिका में की गई थी। जिससे पता चल सके कि गोलीकांड किसकी लापरवाही से हुआ, कोर्ट ने 9 पेज का फैसला दिया है।

कानून में नहीं कोई जिक्र

अदालत ने इस बात को सही ठहराया कि संबंधित कानून में इसका कोई उल्लेख नहीं है कि आयोग की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपे जाने के 6 महीने के भीतर संसद या राज्य के किसी विधान मंडल में पेश नहीं की जाती है तो इसके क्या परिणाम होंगे।

जानिए क्या था मामला?

पूरे राज्य में किसान एमएसपी को लेकर कर रहे थे प्रदर्शन

मध्यप्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर 1 जून 2017 से ही पूरे राज्य में प्रदर्शन हो रहे थे। हालांकि मंदसौर का आंदोलन इतना बड़ा नहीं था। यहां किसानों ने आंदोलन के समर्थन में एक जुलूस निकाला था। उन्होंने मंडी के व्यापारियों से अपील की थी कि वे भी समर्थन में अपनी दुकान बंद करें लेकिन भाजपा से जुड़े अनिल जैन नाम के एक व्यापारी ने दुकान बंद करने से मना कर दिया। उसी को लेकर विवाद हुआ। व्यापारियों ने पिपलिया मंडी थाने में प्रदर्शनकारियों पर मुकदमे दर्ज कराए। किसान रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे तो उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। यहां तक कि किसानों के खिलाफ एक ही मामले में दो मुकदमे दर्ज किए गए। एक तरफा कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसान और उग्र हो गए। 6 जून को सोशल मीडिया पर यह ऐलान किया गया कि वे व्यापारी अनिल जैन पर प्रकरण दर्ज कराने के लिए भारी संख्या में पार्श्वनाथ चौपाटी पर जुटें और वहां से वे पिपलिया मंडी थाने की ओर प्रस्थान करेंगे। किसानों की भारी भीड़ को रोकने के लिए सीआरपीएफ की यूनिट भी लगाई गई थी। पार्श्वनाथ चौपाटी पर भीड़ को शांत कराने की जिम्मेदारी सिटी एसपी साईं कृष्ण थोटा पर थी।

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