मीलैट क्वीन लहरी बाई मणिकर्णिका सम्मान में की शिरकत

मीलैट क्वीन लहरी बाई मणिकर्णिका सम्मान में की शिरकत
बैतूल। बैतूल। मैं तब 10 से 12 साल की थी। तब एक बार बीमार पड़ी तो मेरी दादी ने कहा था कि बेवर के बीज खाने से ठीक हो जाएगी। मैने उनसे कहा- वे मुझे बेवर के बीज की पहचान करा दे। इस समय दादी ने सभी लोगों को यह बीज बांटा। दादी की सोच थी कि ये दाना डूब जाएगा तो समाज डूब जाएगा। मैं बड़ी हुई तो मैंने तय किया की इस बीज को आसपास के 25 गांव में बांटेंगे। मैने दादी का सपना पूरा किया।

अब सपना है की इसे और भी जगह तक फैला सकूं। लेकिन हमारे पास कोई संसाधन नहीं है। कहीं से सहायता नही है। सरकार को चुनाव के लिए रुपए मिल जाते है। पर हमारे लिए कुछ नही है। अगर एक एक रु भी मिल जाता तो इस काम को आगे बढ़ा सकती। सरकार ने कई लालच दी पर सरकार ने कुछ नही दिया। जमीन नही दी।

सरकार के पास कोई कमी नही। फॉरेस्ट अपनी जमीन रख ले दूसरी जमीन दे दे तो किसान तक मुफ्त बीज बाटूंगी। आज मेरे पास 80 साल के माता पिता के लिए कुछ नहीं। उन्हें पाल रही हूं। सरकार कोई जमीन दिला दे तो यह काम अच्छे से बढ़ा सकती हुआ। ये दर्द आज मिलेट क्वीन के तमगे से नवाजी गई। पादप जीनोम संरक्षण कृषक सम्मान की अवॉर्डी लहरी बाई पडिया की जुबान से बाहर आया।

कृषि मंत्रालय ने उन्हें साल 21-22 में सम्मानित किया था। लेकिन तब से अब तक न तो उन्हें कोई मदद मिली है और न ही उनके मिलेट अभियान को आगे बढ़ाने के कोई प्रयास हुए है। आज बैतूल में आयोजित मणिकर्णिका सम्मान समारोह में भाग लेने डिंडोरी से बैतूल पहुंची लहरी बाई का डाटर्स-डे पर पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त दुर्गा बाई व्योम, चित्रकार नरबदिया बाई का सम्मान किया गया।

एक गरिमामय आयोजन में 29 अन्य बेटियों को भी मणिकर्णिका सम्मान से नवाजा गया। यह आयोजन काेराेना काल में दिवंगत नेहा श्रीवास्तव की स्मृति में आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम का आयोजन बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति, समाजसेवियों और कई प्रतिष्ठानों के संचालकों ने किया था।

कार्यक्रम के अतिथि विधायक योगेश पंडाग्रे, एसपी निश्चल झारिया, सीएमओ ओपी भदौरिया, सैनिक कल्याण बोर्ड के जिला अधिकारी कैप्टन सुमित सिंह थे। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण अपनी चित्रकारी के दम पर देश में अपनी एक खास जगह बनाने वाली पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त दुर्गा बाई थी।

जिन्होंने आदिवासी चित्रकला का नई ऊंचाईयां दी। सबसे अधिक ध्यान यहां डिंडोरी की लहरी बाई ने खींचा। जिन्होंने अपने जीवन में मिलेट के संरक्षण के काम को प्राथमिकता दी है। जिन्होंने श्री अन्न (मिलेट) के संरक्षण में उत्कृष्ट काम किया है।

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