पाकिस्तान वापस जाने के लिए सड़क पर बैठे 19 परिवार
जोधपुर। जोधपुर से पाकिस्तान जाने के लिए कुछ लोग 12 दिनों से वाघा बॉर्डर के पास बैठे हैं।जो पाक विस्थापित हैं। कुल 19 परिवार में 99 लोग इसमें शामिल हैं। 57 बच्चे 22 महिलाएं हैं। ना तो खाने की व्यवस्था है। न ही सोने की व्यवस्था। परिवार ने भास्कर से वीडियो कॉल पर बात कर हकीकत बयां की। उन्होंने बताया कि एक दलाल ने उन्हें जोधपुर से पाकिस्तान जाने के लिए भेजा गया है। यहां रोकने पर वापस उसको कॉल किया तो वह मुकर गया। बोला- मैने कब कहा था।
पाक विस्थापित परिवार का कहना है कि हम सब पैसा देकर यहां तक पहुंच गए, लेकिन वाघा बॉर्डर पर उन्हें इसलिए नहीं जाने दिया जा रहा है कि कागज पूरे नहीं है। उनका कहना है कि उनके परिवार वाले तीन बसों में गए हैं। उनके पास भी कागज नहीं थे। इस परिवार ने वीडियो कॉल करके बताया कि बॉर्डर के पास सतनाम ढाबे के आस पास सड़क पर रह रहे हैं। यहां बच्चे बीमार पड़ रहे है। वीडियो में बताया कि वाघा बॉर्डर से आधा किलोमीटर दूर मुख्य सड़क के किनारें बैठे हैं।
दरअसल, जोधपुर के दलालों ने इन्हें पाकिस्तान जाने के लिए रवाना कर दिया था, लेकिन इनकी बस को जोधपुर में CID ने पकड़ ली थी। बावजूद इसके यह लोग प्राइवेट गाड़ियों से अमृतसर पहुंच गए। अब सड़क किनारें दिन गुजारने को मजबूर है। बड़ी बात तो यह है कि इन लोगों के कुछ परिवार पहले बॉर्डर पार कर चुके हैं। पर इनके पास कागज पूरे नहीं थे। दलाल के विश्वास पर यह भी आ गए। बस पकड़े जाने से यह भारत में ही अटक गए।
बस रोकी लेकिन लोग बॉर्डर पहुंचे
18 सितम्बर को CID ने करवड़ थाने में इन 99 लोगों से भरी बस को रोका था। दूसरे दिन यह लाेग कचहरी परिसर में गए। वहां किसी ने बोला- अमृतसर पहुंच जाओ वहां से निकल जाओगे। पाक विस्थापित परिवार इस उम्मीद से 22 सितम्बर को वाघा बॉर्डर तक आ गए। उनसे जब पूछा गया कि कचहरी में किसने बोला तो बोले हम अनपढ हैं। वहां हमें एक मेडम ने कहा कि बॉर्डर पर चले जाओ वहां पार करवा देंगे। इस भरोसे वे यहां आ गए।
बहन की शादी के लिए आए थे, अब पाकिस्तान जाना चाहते है
अपनी बहनों की शादी कर जीजा के साथ पाकिस्तान जाने के लिए निकले मोहन ने बताया कि मां बहनें जीजा के साथ पाकिस्तान जाने के लिए निकले हैं। बहनों के सास-ससुर इससे पहले जाने वाली बस से पाकिस्तान पहुंच गए लेकिन हम फंस गए।
बॉर्डर पर स्टाफ बदल गया
मोहन ने बताया कि हमने बॉर्डर पर बात की। बोला- पहले भी तो लाेग इन्ही कागज पर गए थे। वे बोले- पहले स्टाफ अलग था अब अलग है। मोहन ने बताया कि अमृतसर में पुलिस अधिकारियों से मिले तो उन्होंने बोला जोधपुर की परमिशन चाहिए। इस पर जोधपुर वापस उसे फोन लगाया जिसने कागज तैयार करवाए थे। वो बोले- अब हमारी जिम्मेदारी नहीं।