धरियावद और वल्लभनगर सीट पर उपचुनावों की घोषणा:धरियावद और वल्लभनगर सीट पर 30 अक्टूबर को वोटिंग, 2 नवंबर को नतीजे, कांग्रेस-बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला
जयपुर। चुनाव आयोग ने विधानसभा की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव की घोषणा कर दी गई है। वल्लभनगर और धरियावद सीट पर 30 अक्टूबर को वोटिंग होगी, 2 नवंबर को नतीजे घोषित होंगे। चुनाव कार्यक्रम के अनुसार 1 अक्टूबर से नामांकन शुरू हो जाएंगे। 8 अक्टूबर नामांकन की आखिरी तारीख होगी। 13 अक्टूबर तक नाम वापसी हो सकेगी।
वल्लभनगर सीट इस साल जनवरी में कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन की वजह से खाली हुई है। धरियावद सीट बीजेपी विधायक गौतमलाल मीणा के कोराना से मई में निधन की वजह से खाली हुई है। दोनों ही सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के सामने प्रतिष्ठा बचाने का सवाल है। उपचुनाव के नतीजों से सरकार के कामकाज का आकलन होगा। मेवाड़ और बागड़ में पकड़ का भी टेस्ट होगा। दोनों सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी ने चुनावी टीमों को तैनात कर रखा है। कांग्रेस ने काफी पहले कमेटियां बनाकर नेताओं को जिम्मा दे दिया था।
6 महीने में उपचुनाव के प्रावधान में ढील, 10 महीने से खाली है वल्ल्भनगर सीट
किसी भी विधायक-सांसद के निधन या इस्तीफे की वजह से खाली हुई सीट पर छह महीने में उपचुनाव करवाना अनिवार्य होता है। वल्लभनगर सीट पर जून अंत तक चुनाव होने जरूरी थे, लेकिन कोरोना के प्रकोप का हवाला देकर चुनाव आयोग ने विशेष छूट दी। हालांकि इससे पहले तीन सीटों पर अप्रैल में ही उपचुनाव करवाए थे, लेकिन चुनाव आयोग ने वल्ल्भनगर सीट पर उपचुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की। बाद में कोरोना का प्रकोप बढ़ गया और इस सीट पर उपचुनाव टल गए। इस बीच मई में धरियावद से बीजेपी विधायक गौतमलाल मीणा का निधन हो गया।
उपचुनावों का मंत्रिमंडल फेरबदल पर असर नहीं, उदयपुर- प्रतागढ़ से कोई दावेदार ही नहीं
उपचुनावों का मंत्रिमंडल फेरदबल पर असर नहीं होगा, क्योंकि उदयपुर और प्रतापगढ़ जिलों से किसी कांग्रेस विधायक को मंत्री बनाने की संभावना न के बराबर है। हालांकि यह सब कांग्रेस हाईकमान पर निर्भर करेगा। उपचुनाव फेरबदल को खिसकाने का सियासी बहाना जरूर हो सकता है, लेकिन दो उपचुनाव तकनीकी रूप से फेरबदल में अड़चन नहीं बनेंगे। अब यह कांग्रेस नेतृत्व पर निर्भर करेगा कि वह उपचुनाव के दौरान ही फेरदबल करता है या फिर नवबंर तक इसे आगे बढ़ाता है।
वल्ल्भनगर सबसे हॉट सीट, कांग्रेस-बीजेपी के सामने भिंडर चुनौती
वल्लभनगर सबसे हॉट सीट है। यहां पर पूर्व विधायक रणधीर सिंह भिंडर कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए बड़ी चुनौती है। भिंडर इस सीट से पहले भी विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों को यहां भीतरघात का खतरा है। कांग्रेस में यहां दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी प्रीती शक्तावत दावेदार है। प्रीति शक्तावत की दावेदारी का उनके जेठ देवेंद्र शक्तावत विरोध कर रहे हैं। देवेंद्र शक्तावत ने प्रीति शक्तावत को टिकट देने पर पार्टी छोड़ने तक की धमकी दी है।
वल्ल्भनगर में कांग्रेस तो धरियावद में बीजेपी खेल सकती है सहानुभूति कार्ड
उपचुनावों में दोनों पार्टियां सहानुभूति कार्ड चल सकती हैं। दिवंगत विधायकों के परिवारों से ही टिकट दिए जा सकते हैं। कांग्रेस वल्लभनगर में दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी को टिकट दे सकती है। धरियावद में बीजेपी दिवंगत विधायक गौतम मीणा के परिवार से टिकट देने पर विचार कर रही है।
अप्रैल में हुए तीन उपचुनावों में दिवंगत विधायकों के परिजन ही जीते थे
अप्रैल में सहाड़ा, सुजानगढ और राजसमंद सीट के उपचुनावों में सहानुभूति कार्ड चला था। सहाड़ा में दिवंगत कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री त्रिवेदी, सुजानगढ में दिवंगत विधायक मास्टर भंवरलाल मेघवाल के बेटे मनोज कुमार और राजसमंद से दिवंगत बीजेपी विधायक किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति माहेश्वरी उपचुनाव में जीतीं। तीनों उपचुनाव में कई दशक का रिकॉर्ड टूटा था।