बैतूल। नई शिक्षा नीति को साकार करते हुए व लोकल फार वोकल के नारे को यथार्थ करते हुए ग्राम सिमोरी के मिडिल स्कूल के बच्चे आत्मनिर्भर बन रहे हैं। शैक्षणिक गतिवितधियों के साथ सह शैक्षणिक गतिविधियों ने बच्चों को आत्मनिर्भर बनने में मदद की है। शिक्षक शिक्षक शैलेन्द्र बिहारिया ने बताया कि कोरोना काल ने सिखाया की हमें गांव-गांव को आत्मनिर्भर बनना चाहिए जिसकी शुरुआत बच्चों ने की है। जनशिक्षक प्रीतमसिंग मरकाम व पंजाबराव गायकवाड़ ने बताया कि इस बार आदिवासी बच्चों की बनाई राखियां ही कलाई पर सजेंगी, उनकी राखियां खरीदेंगे। बीएसी सुनंदा दवनडे व मनोहर मालवीय ने कहा कि इस बार आदिवासी बच्चों की बनाई गणेश मूर्तिया ही घर में विराजेंगी व मूल्य देकर मूर्तियां खरीदेंगे। नवनीत बारमासे व यादोराव नागले ने बताया कि भरेवा हस्तकला शिल्प हेतु गन्नाू रावत के द्वारा आदिवासी बच्चों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी। पत्थर की चिड़िया व अंडों वाली कलाकृति 500 रुपये में बच्चों से खरीदी, जिसने सबका ध्यान आकर्षित किया। वहीं मिट्टी के गणेश आकर्षण का केंद्र रहे। राखियों का नवाचार बच्चों को आत्मनिर्भर बनाएगा। इस अवसर पर शिक्षिका ममता गोहर व राधिका पटैया, अजय बडौदे ने भी बच्चों के द्वारा बनाई गई राखियां खरीदी और उनका उत्साहवर्धन किया।