भारत से ज्यादा सुरक्षित पाक के परमाणु हथियार
वॉशिंगटन। पिछले एक दशक में पहली बार न्यूक्लियर सिक्योरिटी रिस्क बढ़ रही है। परमाणु सुरक्षा की स्थिति का मूल्यांकन करने वाले अमेरिका स्थित अंतरराष्ट्रीय संगठन न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव (NTI) ने अपनी रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की है। वहीं, NTI ने न्यूक्लियर वेपन की सेफ्टी के मामले में पाकिस्तान को भारत से बेहतर रैंकिंग दी है।
नई रैंकिंग में संगठन ने पाकिस्तान को भारत, ईरान और उत्तर कोरिया से आगे रखा है। पाक को इस बार पहले से तीन अंक ज्यादा मिले हैं और 22 देशों की सूची में 19वां स्थान हासिल किया है। उसके बाद 40 अंकों के साथ भारत 20वें स्थान पर है। NTI के मुताबिक, दुनिया में प्लूटोनियम के स्टॉक में इजाफा हुआ है। यूरेनियम की तरह ही इसका इस्तेमाल भी परमाणु हथियार बनाने में किया जा सकता है।
प्लूटोनियम का भंडार 17 हजार किलोग्राम बढ़ा, इससे बन सकते हैं 2100 न्यूक्लियर वेपन
इंडेक्स के मुताबिक 2019 के बाद से प्लूटोनियम के वैश्विक भंडार में 17 हजार किलोग्राम यानी करीब 19 टन की बढ़ोतरी हुई है। ये 2,100 परमाणु हथियार बनाने के लिए काफी हैं। न्यूक्लियर पावर प्लांट्स में प्लूटोनियम का काफी इस्तेमाल होता है, जिसकी वजह से भारत, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान और रूस में यह सबसे ज्यादा मात्रा में मौजूद है। इसके अलावा अमेरिका में भी इस न्यूक्लियर मटेरियल का काफी भंडार है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 22 में से 12 देशों में राजनीतिक अस्थिरता की वजह से न्यूक्लियर मटेरियल को लेकर रिस्क सबसे ज्यादा है। वहीं, न्यूक्लियर फैसिलिटी की सुरक्षा के मामले में भी पाकिस्तान की रैंकिंग भारत से आगे है। 47 देशों की सूची में पाकिस्तान को 61 अंक मिले और वो रूस-इजराइल के साथ 32वें स्थान पर है, जबकि भारत इस लिस्ट में 52 अंकों के साथ 40वें पायदान पर है।
कैसे दी जाती है न्यूक्लियर सेफ्टी इंडेक्स रैंकिंग
न्यूक्लियर सेफ्टी इंडेक्स की रैंकिंग 175 देशों और ताइवान में परमाणु सुरक्षा की स्थिति का आंकलन करती है। इसमें एक किलोग्राम से ज्यादा न्यूक्लियर मटेरियल (यूरेनियम और प्लूटोनियम) वाले 22 देशों का असेसमेंट किया जाता है कि वो अपने न्यूक्लियर मटेरियल की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठा रहे हैं। यह रैंकिंग उन देशों को भी इवैल्यूएट करती है, जिनके पास एक किलोग्राम से कम या हथियार बनाने में इस्तेमाल होने वाली परमाणु सामग्री नहीं है।
न्यूक्लियर मटेरियल की सेफ्टी के मामले में ईरान और नॉर्थ कोरिया को सबसे कम रैंकिंग मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक, रैंकिंग में सबसे ज्यादा सुधार साउथ एशियन देशों में हुआ है। NTI के मुताबिक, न्यूक्लियर रिस्क ग्लोबल अनस्टेबिलिटी की वजह से बढ़ रहा है। रूस-यूक्रेन जंग इसका बड़ा कारण है।