RSS समाज को विश्व में स्थान दिलाने का जरिया:सरकार्यवाह
भोपाल। राजधानी भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रकटोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए। सरकार्यवाह होसबोले ने कहा कि यह कार्यक्रम भोपाल शाखा का वार्षिकोत्सव जैसा है। उन्होंने संघ को समाज को सामर्थ्यवान बनाकर विश्व में सम्माननीय स्थान दिलाने का जरिया बताया।
कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय पूर्व चुनाव आयुक्त ओपी रावत बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। स्वयंसेवकों ने शारीरिक क्रियाओं का प्रदर्शन किया।
2500 स्वयं सेवकों ने किया शारीरिक अभ्यास का प्रदर्शन
कार्यक्रम में 2500 से अधिक स्वयंसेवक शाखाओं में प्रतिदिन चलने वाले शारीरिक अभ्यास का प्रदर्शन किया। शाम 4:30 बजे शुरू हुए कार्यक्रम में स्वयंसेवक दंड के 10 प्रगत प्रयोग, समता, दंड योग, व्यायाम योग, बैठकर करने वाले योग आदि का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में घोष के तीन दल घोषवादन किया। कार्यक्रम में प्रांत संघचालक अशोक पाण्डे, विभाग संघचालक डॉ. राजेश सेठी भी मौजूद रहे।
होसबोले ने बताए संघ के दो पहलू
सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि संघ के प्रमुख दो पहलू हैं। पहला है- व्यक्ति निर्माण और दूसरा- दूसरा समाज संगठन। दोनों ही पहलुओं का लक्ष्य एक ही है, वो है भारत का परम वैभव। उन्होंने कहा कि विश्व के कल्याण की कामना करने वाले लोग यदि स्वयं सामर्थ्यवान नहीं हैं, केवल शुभकामना देने से काम नहीं चलेगा, इसलिए हम पहले चरण के रूप में भारत के परम वैभव के लिए काम कर रहे हैं। अगले चरण में जैसे-जैसे भारत अपनी शक्ति का अहसास करते हुए दुनिया के मंगल को चाहते हैं।
शारीरिक सामर्थ्य की भी जरूरत
होसबोले ने कहा कि शारीरिक सामर्थ्य की जरूरत है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन रह सकता है। जो समाज कंटक हैं, समाज के बारे में नहीं सोचते। केवल संघ के व्यक्ति बनने से देशभक्त नहीं बनता, बल्कि सामान्य नागरिक के मन में ऐसे भाव हों। इसलिए संघ के कार्यकर्ता केवल शाखा तक सीमित नहीं रहते, बल्कि समाज के लिए काम करते हैं। जब लोग अनुशासन से जीना शुरू करेंगे, तब सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन में, वर्कप्लेस पर अनुशासित समाज के नाते नियम पालन करने, दूसरों की इज्जत करने वाला समाज बनाकर भारत को प्रगति के रास्ते पर ले जा सकते हैं।
सरकार के साथ समाज का भी कर्तव्य
होसबोले ने कहा कि सरकार के साथ समाज का भी कर्तव्य होता है। समाज ऋण को चुकाने के लिए हर परिवार को सोचना चाहिए। मैं मुझसे दुर्बल व्यक्तियों के क्या कर सकता हूं, ये सोचना चाहिए। भूकंप, बाढ़ के दौरान स्वयंसेवक मदद के लिए आगे आते हैं। जिनके नाम मालूम नहीं जो लोग कष्ट में हैं, उनकी मदद के लिए काम करते हैं।
अकेले में काम करना, चार लोगों से मिलकर काम करने में तकलीफ होती है, इसलिए हमारे यहां बिखराव आते हैं। राजनैतिक दलों में तो टूटने की परंपरा है। पार्टनरशिप में कई बार झगड़े होते हैं। साथ मिलकर काम करना यह सामूहिकता संघ में सिखाते हैं।